भारतीय वैभव के प्रतीक महलों के रोचक तथ्य

प्राचीन भारत में जब छोटी-छोटी रियासतें थीं जिन पर राजा शासन करते थे। अपने शासन काल में उन्होंने महलों का निर्माण कराया जो कारीगरी और स्थापत्य कला के बेजोड़ नमूने थे। उनमें से कई समय की गर्त में विलुप्त हो गए लेकिन कुछ आज भी हैं जो उस समय के वैभव की कहानी सुनाते हैं। आइए हम उन्हीं महलों में से कुछ के विषय में कुछ रोचक तथ्य बताते हैं।

 

 

1. उम्मेद भवन पैलेस- राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित उम्मेद भवन पैलेस जिसे चित्तर महल के नाम से भी जाना जाता है। यह महाराज उम्मेद सिंह के समय में 1929 में बनवाया गया। चित्तर पहाड़ी के पत्थरों से बना होने के कारण इसे चित्तर महल भी कहा जाता है। इसका निर्माण होने में 16 वर्ष लगे। यह बलुआ पत्थर और संगमरमर से बना है। इसको बनाने में अरबी शास्त्रीय पुनरूद्धार और पश्चिमी कला शैली मिश्रण के रूप में प्रयोग किया गया है। वर्तमान समय में इसे तीन हिस्सों में बाँट दिया गया है। इसका एक हिस्सा होटल, दूसरा संग्रहालय और तीसरा शाही परिवार के निवास के रूप में प्रयोग होता है।


2. अंबा विलास पैलेस- यह महल मैसूर के कृष्णराजा वाडियार चतुर्थ का है। पहले यह महल चंदन की लकड़ी से बना था। जो समय के साथ क्षतिग्रस्त हो गया। इसलिए उस महल को मरम्मत के बाद संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया और एक दूसरा महल बनवाया गया। स्लेटी पत्थरों से बना यह महल द्रविड़, पूर्वी और रोमन कला का अद्भूत नमूना है। यहाँ सोने की पत्तर के गुबंद वाला एक दुर्ग है। जो सूर्य की रोशनी में चारों ओर स्वर्णिम आभा बिखेर देता है। यहाँ एक गुड़िया घर है जिसमें 19वीं और 20वीं सदी की गुड़ियों का संग्रह है। यहाँ रंगीन शीशों की छतों वाला विवाह मंडप है। यहाँ 200 किलो का सोने का एक सिंहासन है। कहा जाता है यह महाभारत काल के पांडवों के समय का है। दशहरे के समय इस सिंहासन को लोगों के दर्शन के लिए रखा जाता है।



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भारतीय वैभव के प्रतीक महलों के रोचक तथ्य भारतीय वैभव के प्रतीक महलों के रोचक तथ्य Reviewed by mimisabreena on Tuesday, June 26, 2018 Rating: 5

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